Mob Lynching अर्थात भीड़ द्वारा हत्या . आजकल देश में 'मोब लिचिंग' नामक इस नये शब्द का प्रयोग काफी ज्यादा किया जा रहा है हालांकि इस देश की सांस्क्रतिक विरासत के नजरिये से यह शब्द बिलकुल मेल नही खाता है किन्तु फिर भी पिछले कई सालो से भीड़ द्वारा की जा रही अनेक हिंसात्मक घटनाओ से यह नया शब्द हमारी आधुनिक संस्क्रती के साथ जुड़ सा गया है . यदि देश के गौरवशाली इतिहास में झाँका जाए तो हमारी संस्क्रति 'विश्व बन्धुत्व ' और 'वसुधैव कुटुम्बकम ' के उच्चकोटि के दर्शनो से युक्त रही है किन्तु आज संचार के माध्यमो के काफी व्यापक होने के कारण अनेक वैश्विक घटनाओं ने बाकी दुनिया के साथ -साथ हमारी संस्क्रती पर भी अपना काफी असर छोड़ा है . इन प्रभावों में अनेक अच्छाईयो के साथ -साथ थोड़ी - बहुत बुराइया भी शामिल होती है . इसलिए कभी पूरी दुनिया को विश्व शान्ति का अमर संदेश देने वाला भारत आज मोब लिचिंग के दुष्प्रभावो मे अब खुद ही कैद हो गया है .
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अमेरिका में मोब लिचिंग के शिकार |
वास्तव में मोब लिचिंग शब्द की उत्पति दुनिया के सबसे प्राचीन लोकतान्त्रिक देश अमेरिका में मानी जाती है . ऐसा अनुमान है कि 'मोब लिंचिंग' शब्द का अविष्कार 2 अमेरिकियों चार्ल्स लिंच और विलियम लिंच के नाम पर 1782 ई के आस -पास हुआ होगा . कहा जाता है कि 1861 के अमेरिका में गृह युद्ध (सिविल वार ) के दौरान अश्वेत लोगो को श्वेत अमेरिकियों द्वारा मामूली अपराधो के लिए इस मोब लिचिंग से मार दिया जाता था . अनेक अफ़्रीकी नीग्रोस को श्वेत अमेरिकियों द्वारा भीड़ की शक्ल में फांसी पर लटका दिया गया था . यहाँ तक कि इस प्रक्रिया में हत्या के शिकार ज्यादातर लोग अदालत तक भी नही पहुच पाते थे . वास्तव में मोब लिंचिंग का उद्देश्य भी यही था कि लोगो को अदालत में अपना पछ रखने से पहले ही मार दिया जाए . सम्भवतः यहाँ पर श्वेत अमेरिकी लोगो का एक वर्ग अश्वेतों पर अपना वर्चस्व कायम रखना चाहता था जिसके लिए उन्होंने मोब लिचिंग को ही अपना हथियार बनाया हुआ था . इस प्रकार इस मोब लिंचिंग शब्द के पीछे कही न कही अमेरिकी नस्लवाद की अवधारणा भी छिपी हुई है .
देश में कुछेक भीड़ द्वारा जब कानून को अपने हाथ में लेकर किसी व्यक्ति को सजा दी गयी ,तो इसे मोब लिचिंग कहा गया . वास्तव में यह लोकतंत्र को भीड़तन्त्र में बदलने का एक असफल प्रयास है . हालाँकि यह भीड़ भी कई तरह की होती है . मसलन एक सामूहिक भीड़ प्राक्रतिक आपदाओ और किसी भी प्रकार के सामजिक और आर्थिक अन्याय से संघर्ष करने हेतु सशक्त विकल्प मानी जाती है तो दूसरी तरफ इसी भीड़ को यदि उन्माद से जोड़ दिया जाए तो फिर यह दंगा -फसाद और तोड़ -फोड़ के कार्यो में भी लिप्त हो जाती है . ऐसी भीड़ का कोई एक चेहरा नही होता है , इसलिए वास्तविक अपराधी को पकड़ना काफी दुष्कर होता है . देश में ऐसी भीड़ द्वारा कुछ लोगो को पीट - पीट कर भी मार दिया गया है .भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार ,"किसी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतन्त्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया द्वारा ही वंचित किया जाएगा ,अन्यथा नही ." इस प्रकार एक लोकतान्त्रिक देश में भीड़ द्वारा जारी ये हमले उसकी जनता की व्यक्तिक स्वतंत्रता और उसके मूल अधिकारों का हनन है .
मोब लिचिंग में प्राक्रतिक , विधिक और लोकतान्त्रिक नियमो का उल्लंघन होता है . उन्मादी भीड़ पीड़ित व्यक्ति की कोई बात नही सुनती और उसे अपना पछ भी नही रखने देती है . इस प्रकार यह भीड़ एक प्रकार की अतार्किक और अनैतिक हिंसा को जन्म देती है . देश की लोकतान्त्रिक प्रणाली में सभी नागरिक देश के संविधान से बंधे हुए है इसलिए उन सभी से यह उम्मीद की जाती है कि वह कानून का पालन भी करेंगे . किन्तु यदि किसी व्यक्ति ने कोई अपराध किया भी है तो उसे अदालत में कानून के अनुसार सजा मिलेगी . ध्यान रहे इस महान देश में प्रत्येक नागरिक को सुचना का अधिकार ही नही वरन अपने विचारो के स्वतन्त्रता की आजादी भी हासिल है .
भारत में मोब लिंचिंग की पहली घटना नागालैंड के दीमापुर में वर्ष 2015 में बताई जाती है जिसमे एक बलात्कार के आरोपी को भीड़ द्वारा मार डाला गया था . किन्तु गौ -रछा के नाम पर मोब लिंचिंग तो अब काफी आम हो गयी है . एक रिपोर्ट के अनुसार देश में वर्ष 2014 से लेकर 2018 तक लगभग 45 लोग मोब लिंचिंग के कारण अपनी जान से हाथ धो चुके है . वास्तव में, इस देश में इससे पूर्व भी भीड़ द्वारा सामूहिक होकर दलितों और पिछडो पर अत्याचार करने की सैकडो घटनाये हो चुकी है . अत : मोब लिचिंग जाती ,धर्म और नस्ल विभिन्न स्तरों पर अवसर देख कर करवाई जाती है और यह तो एक घोर विडम्बना ही है कि आज इक्कसवी सदी में भी देश के अंदर मात्र कुछ अफवाहों पर ही मोब लिचिंग की घटनाओं को अंजाम दे दिया जाता है . इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने हेतु एक सशक्त कानून बनाने का निर्देश दिया है .