अभी कुछ दिन पहले जेटली जी कह रहे थे यदि हमारी सरकार से जनता असंतुष्ट है तो देश भर में कही -कोई जन आन्दोलन क्यों नहीं हुआ .
आदरणीय जेटली जी आपको या तो जन भावनाओ को पढना नहीं आता या आप उसे किसी मजबूरीवश नकारना चाहते होंगे . याद दिला दू ,कुछ ऐसा ही कृत्य आपकी पिछली अटल सरकार ने भी देश की प्याज के आंसू रोने वाली जनता को 'इण्डिया शायनिंग ' के फ्लेवर के साथ पेश किया था . खैर यह इण्डिया शायनिंग किस तरह धडाम हुआ था , वह आप सब जानते है. वापस मूल मुद्दे पर आते है . पुलवामा हमले में देश के लगभग 50 सैनिको के शहीद होने के बाद आज देश भर की सडको में भारी गुस्सा भरा हुआ है , क्या यह गुस्सा भी किसी को नजर नही आ रहा है . जनता में यह नाराजगी मुख्य रूप से पाकिस्तान और वहा बैठे आतंकवादियो पर ही है किन्तु देश की सत्ता पर तो आपकी सरकार काबिज है , अत: नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी भी आपकी ही तो हुई न . अतीत में आपकी सरकार ने सर्जिकल स्ट्राईक का क्रेडिट लिया हुआ है तो फिर इस नुक्सान की जिम्मेदारी कोई और क्यों लेगा ?
गरीब शहीदों के परिवारों में चल रहा यह मातम काफी ह्रदय विदारक है . उनके मासूम बच्चे और घरो की महिलाए सदमे में है . एकाएक इतनी बड़ी आतंकी वारदात ने देश की जनता को झकझोर सा दिया है .सडको पर हो रहे जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन इसी आक्रोश की प्रतिक्रिया है . क्या यह एक व्रहद जन -आन्दोलन नही है . आज देश का प्रत्येक नागरिक सरकार से पाकिस्तान से तुरंत बदला लेने की मांग कर रहा है और ऐसा क्यों न करे ? आप की राष्ट्रवादी सरकार ने ही तो 1 के बदले 50 पाकिस्तानी सर लाने का वादा किया था . तो यह अवसर अब आ गया है . अगर अबकी बार आप चूके तो फिर यह आपकी एक और ऐतिहासिक भूल होगी .