सोशल मिडिया से पता चला कि आँख मारना आजकल फिर से काफी वायरल हो गया है . वैसे आँख मारना प्रेम रस के साथ -साथ वीर रस की एक क्रिया मानी जानी चाहिए . आँख मारने के लिए भी हिम्मत तो होनी चाहिए . हालांकि इस कला पर पुरुषो का आधिपत्य रहा है लेकिन कुछ चंचल शोख महिलाये भी इस इस विधा में कुशल होती है . सीधी -साधी सौम्य महिलाये तो पुरुषो से इसी खौफ से नजरे तक नही मिला पाती कि कही उन्हें कोई मनचला आँख न मार दे . मेले और सार्वजनिक समारोहों में इस आँख मारने के विवाद में अक्सर कहा -सुनी देखी जा सकती है . हालांकि एक वक्त वह भी था जब खासतौर पर पुरुष वर्ग इसे लडकियों को छेड़ने या उनसे अपनी प्रेम अभिव्यक्ति को व्यक्त करने के लिए भी इसका सहारा लेते थे . दोनों में अगर सहमती हो गयी तो मुस्कुराहट नही तो सैंडल की मार भी मिल जाती थी . लेकिन यही आँख मारने का काम घर में अगर छोटे बच्चे करते है तो बड़े बुजुर्ग बहुत प्रसन्न होते है . हंसते -हंसते कुछ लोगो के तो आँखों से आंसू तक निकल आते है और पेट में जब तक दर्द नही होता , उनकी हंसी -ठहाका नही रुकती है .
कुछ साल पहले बाबा रामदेव टेलीविजन में योग सिखाते -सिखाते आँख मार जाते थे तब कहा जाता था उनकी आँख में ही कुछ समस्या है . बाबा जी ने भी कभी स्पष्टीकरण नही दिया . लेकिन दर्शक उनके इस कृत्य पर अपनी हंसी आज भी नही रोक पाते है . अनेक हास्य कलाकारों ने तो उनकी नकल उतार कर इस पर कई शो भी कर डाले है . आँख भी बड़ी कमाल की चीज होती है . इसके बगैर कोई शख्स इस फिजा की खूबसूरती का दीदार भी नही कर सकता है . लेकिन कमबख्त चश्मे के कारन इन आखो पर चारदीवारी सी बैठ जाती है . जिनकी नजर कमजोर हो जाती है उन्हें अपनी आँखों की खातिर चश्मे का सहारा लेना ही पड़ता है .
आँखों से आँखे मिला कर दिल का हाल भी पता चल जाता है . आँख से आंसू न निकलते तो कमबख्त दुःख दर्द भी दिल के अंदर पथरी बन कर बैठ जाते . बात यदि दो आँख तक हो तो फिर भी ठीक है लेकिन सबको पता है तीसरी आँख भी होती है . ये वैसे तो बंद ही रहती है लेकिन जब खुलती है तो सर्वनाश ही होता है . यहाँ आख खुलने और आँख मारने में विरोधाभास है . कही दो आँखों में से एक आँख मारने से कोई घायल होता है तो दूसरी तरफ तीसरी आँख खुलने से खेल ही खत्म हो जाता है .
मुख्य बात आँख मारने पर वापस आते है , पता नही आँख मारना कोई फूहड़ता है या एक हमारे सामाजिक जीवन की एक अंत : क्रिया , पुरुषो के साथ अब महिलाये भी इस कला में निपुण और निर्भीक हो रही है .
No comments:
Post a Comment