Sunday, 18 February 2018

इन काउन्टर

गुजरात के सोहराबुद्दीन शेख, इशरत जहां, हाशिमपुरा आदि के बाद मध्यप्रदेश ,हरियाणा समेत राजस्थान में अनेक एनकाउंटर यहाँ की भाजपा सरकारों ने किये है . इसी क्रम में अब उत्तर प्रदेश में भी इनकाउन्टर का भूत चल-फिर रहा है . जाहिर है भाजपा ने गुजरात माडल को इन सभी राज्यों पर लागू किया है . 

इनकाउन्टर के बारे में देश का कानून और सविधान क्या कहता है , ये तो कोई कानून विशेषग्य ही बता पायेगा . फिलहाल समाज शास्त्र के अनुसार कोई अपराधी जन्म से नही पैदा होता है , बल्कि वे हमारे इसी समाज में बनाए जाते है. फूलन देवी इसका प्रत्यछ उदाहरण है . अगर बात रामराज्य की ही की जाए तो महर्षि बाल्मीकि जी को भी यदि सुधरने का अवसर नही मिलता तो 'रामायण ' कौन लिखता ? 

वास्तव में किसी डाक्टर का कर्तव्य मर्ज का इलाज करना होता है न कि रोगी को ही मार देना . इसी प्रकार किसी राज्य की सत्ता को अपराधो को रोकने का सम्भव प्रयास करना चाहिए . हालांकि अपराध मुक्त समाज / राज्य वास्तविकता में होना बिलकुल असम्भव है , ये एक कोरी कल्पना ही हो सकती है . जहा तक अपराधियों को मारने की बात है , देश में कई अपराधो पर कैपिटल पनिशमेंट होने के बावजूद भी वे अपराध कम होने के बजाय बढ़ते ही गये है . इसलिए इन्काउन्टर से अपराध समाप्त हो जायेंगे ये सोचना तर्कसम्मत तो नही है . इन अपराधियों को पकड़ कर उन पर उनके जुर्म की मात्रा के अनुसार अदालत से सजा मिलनी चाहिए और जेल में रह कर उन्हें सुधरने का भी एक अवसर अवश्य मिलना चाहिए . आज का सवाल इसी मुद्दे से जुडा हुआ है . 
क्या इनकाउन्टर करने से समाज अपराध मुक्त हो जाएगा ?

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