Friday, 14 December 2018

शैलेन्द्र



             आज 14 दिसम्बर को हिंदी सिनेमा के प्रमुख गीतकार शैलेन्द्र जी की पुण्यतिथि है . शैलेन्द्र जी का पूरा नाम शंकरदास केसरीलाल शैलेन्द्र था और उनका जन्म 30 अगस्त 1923 को रावलपिंडी पाकिस्तान में हुआ था .

उनके लिखे सभी गीत काफी लोकप्रिय है . कहा जाता है शैलेन्द्र जी एक जन्मजात कवि थे और राज कपूर जी से सम्पर्क में आने के बाद उन्होंने हिंदी फिल्मो के लिए गीत लिखना प्रारम्भ किया था . इससे पहले वह आजादी के लिए कविताएं लिखा करते थे . किन्तु आर्थिक स्थिति बदहाल होने के कारण फ़िल्मी दुनिया में उन्हें काफी सहारा मिला . जिन्दगी में आगे बढने का सहारा मिलते ही उन्होंने भी अपने गीतों से हिंदी फिल्मो को सफलता की अपार ऊंचाइयो पर पहुचा दिया . 

उनके लिखे गीतों में आवारा हूँ (श्री ४२०), रमैया वस्तावैपा (श्री ४२०), मुड मुड के ना देख मुड मुड के (श्री ४२०) ,मेरा जूता है जापानी (श्री ४२०), आज फिर जीने की (गाईड), गाता रहे मेरा दिल (गाईड), पिया तोसे नैना लागे रे (गाईड), क्या से क्या हो गया (गाईड), हर दिल जो प्यार करेगा (संगम), दोस्त दोस्त ना रहा (संगम), सब कुछ सीखा हमने (अनाडी), किसी की मुस्कराहटों पे (अनाडी, सजन रे झूठ मत बोलो खुदा के पास जाना है (तीसरी कसम), दुनिया बनाने वाले (तीसरी कसम) आदि है .

दुनिया को अपने गीतों से सुकून देने वाले शैलेन्द्र आखरी समय में अपनी फिल्म 'तीसरी कसम ' के शुरूआती दौर में असफल होने से काफी दुखी हुए . उन्हें आर्थिक रूप से काफी नुक्सान हुआ और वह गम में डूब गये . उनकी मदद उनके ख़ास दोस्तों ने भी नहीं की . उनके गम को साथ मिला शराब का और फिर इसी गम में वह गुजर गए . लेकिन इत्तेफाक की बात थी कि फणीश्वर नाथ रेणु के उपन्यास पर बनी उनकी फिल्म 'तीसरी कसम ' उनके गुजर जाने के बाद कामयाबी की मंजिल चढ़ गयी . लेकिन तब तक गीतकार अपनी इस कामयाबी के मंजर को देखे बगैर इस दुनिया से बहुत दूर जा चूका था अलबत्ता इस दुनिया में उसके गीतों के बोल उसकी दमदार शख्सियत के वजूद आज भी है .

महान गीतकार को नमन .

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