Wednesday, 20 March 2019

जेल का खौफ



















आज हमारे लोग जेल जाने से बहुत खौफ खाते है . उन्हें बताया भी यही गया है कि जेल अपराधियों के लिए ही बनी होती है . लोगो को जेल की चक्की में आटा पीसना पड़ता है .उन्हें यहाँ तमाम यातनाओ से भी रूबरू होना पड़ता है .लेकिन जेल केवल अपराधियों के लिए ही है ,ये भी एकदम से सत्य बात तो नहीं है.मसलन कई बार कुछ बेगुनाह लोग भी जेल में ठूस दिए जाते है . जेल यानी कारागार का सम्बन्ध देश की आजादी और स्वतन्त्रता सेनानियों के साथ भी जडा हुआ है . बल्कि जेल का सम्बन्ध तो भगवान श्री क्रष्ण जी से भी जुडा हुआ है . हमारे लोग अगर जेल नहीं गये होते तो शायद हमारा देश आजाद नही होता . क्रष्ण का जन्म यदि जेल में नही होता तो शायद कंस के आतंक से लोगो को मुक्ति भी नही मिलती. जेल के बारे में आज के जैसा खौफ पहले कम था या ज्यादा , यह पता नही लेकिन लोग जेल जाने को अपने संघर्ष का पर्याय मानते थे . शायद इसीलिए देश के लोकतंत्र पर खतरे के बादल आये जरुर लेकिन आखिर उन्हें जाना पड़ा. 

आज के नवयुवक में वह धार नही है . उसे या तो पढाई के बोझ ने घायल कर दिया है या फिर वह मनोरंजन के साधनों में लिप्त रह कर जन -जीवन से कोसो दूर हो गया है . बिगड़ी हुई व्यवस्था को सुधारने में किसे रूचि है . पढ़ -लिख कर हर कोई पैसा कमाना चाहता है . क्या करे , अब जीवन चक्र ही ऐसा बन चूका है . बगैर पैसे के जीवन बेजान हो चूका है . लेकिन कितना पैसा कोई कमाएगा , खर्च बेहिसाब हो गया है .महंगाई से बचे तो बीमारिया नही छोड़ेगी . आख़िरकार पैसे की खोज में इंसान के जीवन का मोल 2 पैसे का हो गया है . अपने भविष्य के लिए इंसान नम्बर 2 की कमाई को भी ज्यादा मेहनत की कमाई कहता है . कुछ लोग जो खानदानी रईस या राजा -रजवाड़े है उनकी बात अलग है . उन्हें इस जंजाल से छुट मिली है जिसके लिए उन्हें अपने बाप -दादाओ का ऋणी होना चाहिए . बात जेल की थी ,वही आते है .सत्ता का अहंकार बहुत पुरानी बात है और आज तक जीवंत है . अब सवाल है कि सत्ता के अहंकार से या फिर बिगड़ी हुई व्यवस्था के सुधार के खिलाफ जेल कौन जाएगा . जेल अपराधियों के लिए सुधार गृह है तो क्रान्तिकारियो के लिए उनका घर . मगर साहब जेल का खौफ तो चल ही रहा है , और जेलों से लोहा लेने वाले लोग मुट्ठी भर ही है . इसलिए किसी महा परिवर्तन की उम्मीद भी नही कीजिये . 



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