Sunday, 22 March 2020

चन्द्रमा का भाई :2020 सीडी3







































भारत में चन्द्रमा यानी चाँद (Moon) का अपना अलग धार्मिक महत्व है . विज्ञान उसे प्रथ्वी का उपग्रह मानता है लेकिन भारत के लोग चन्द्रमा को किसी देवता से कम नही मानते है . चन्द्रमा के साथ तो यहाँ की महिलाओ की हजारो साल से आस्थाए भी जुडी हुई है .दादा -दादी की बच्चो को चंदा मामा की कहानिया हो या यहाँ के ज्योतिषियों का ज्योतिष , चन्द्रमा का सम्बन्ध जन मानस की मनोभावनाओ से जुड़ चूका है . कही पर चाँद की सुन्दरता का पैमाना लिया जाता है तो कही -कही पर उसका जिक्र स्वभाव में नम्रता के साथ शांत मन के साथ किया जाता है . सदियों तक चन्द्रमा का वजूद कपोल -कल्पनाओ पर आधारित कहानियों और मान्यताओ पर चलता रहा . किन्तु 1969 में अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्म स्ट्रोंग और उनके साथी के चन्द्रमा में पहुचते ही चन्द्रमा के तमाम रहस्यों से पर्दा उठ गया . इसके बाद चन्द्रमा के बारे में कई गुप्त जानकारिय उपग्रहों और कुछ अंतरिक्ष यानो द्वारा समय -समय पर उपलब्ध करवाई जाती रही है . 



अमेरिका ,रूस , चीन के साथ भारत भी चन्द्रमा के खोजी अभियान से जुड़ चूका है और इस दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहा है . वास्तव में विज्ञान ने प्रथ्वी के सुदूर स्थित इस उपग्रह के अंधेरो की पर्तो को भी हटा दिया है . अब बात केवल एक चन्द्रमा की ही नहीं रही बल्कि उससे जुदा एक और चन्द्रमा की भी होने लगी है . दरअसल हाल में ही अमेरिकी खगोलविदों, थियोडोर प्रूआइन और कैक्पर वीर्ज़कोज ने टास्कुन (एरिज़ोना) की माउंट लेमन ऑब्जरवेटरी में 1.52 मीटर (60 इंच) के टेलिस्कोप की मदद से एक ऐसे छोटे चन्द्रमा की खोज की है जो पिछले 3 साल से प्रथ्वी की परिक्रमा कर रहा है . इन खगोलविदों ने इस नए चन्द्रमा का नाम 2020 सीडी3 दिया है. 





















नारंगी रंग में नए चन्द्रमा 2020 सीडी3 का परिक्रमा पथ व सफेद रंग में मुख्य स्थाई चन्द्रमा का पथ2020 सीडी3, वास्तव में एस्टेरॉयड्स (क्षुद्रग्रहों) के एक ऐसे समूह का बहुत छोटा सा हिस्सा है जो स्थायी तौर पर सूरज और अस्थायी तौर पर धरती का चक्कर काटते हैं. खगोलविदों का कहना है कि नया चन्द्रमा 2020 सीडी3 इतना छोटा है कि यदि यह प्रथ्वी से टकरा भी जाए तो प्रथ्वी को इससे कोई नुकसान नहीं होगा. इस सम्बन्ध में क्षुद्र ग्रहों का अध्ययन करने वाली संस्था माइनर प्लैनेट सेंटर के अनुसार प्रथ्वी के पास एक और चांद है जो करीब 3 सालों से इसके चक्कर लगा रहा है. यह नया चंद्रमा हमारे पुराने चंद्रमा जितना बड़ा नहीं है और उतना चमकीला भी नहीं है. इसकी कुल माप मात्र 1 से 6 मीटर के बीच ही है और सम्भव है यह ज्यादा समय तक हमारे साथ भी नहीं रहेगा.

कहा जाता है कि इस तरह के मिनी-मून्स या छोटे-मोटे चंद्रमा आते-जाते रहते है और हो सकता है कि 2020 सीडी3 भी प्रथ्वी की अपनी आखिरी परिक्रमा ही कर रहा हो. एक अध्ययन बताता है कि हर समय इस तरह का कम से कम एक अस्थायी छोटा चंद्रमा प्रथ्वी का चक्कर लगा रहा होता है. आम तौर पर इनका साइज 1 मीटर से ज्यादा होता है और ये धरती की कम से कम एक परिक्रमा तो करते ही हैं. इनमें से किसी के भी लंबे समय तक न टिक पाने का कारण हमारे अपने चंद्रमा और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल है. इससे पैदा हुए खिंचाव के चलते ही ये छोटे पिंड कुछ सालों बाद धरती का चक्कर लगाना छोड़कर फिर से सूर्य की परिक्रमा करने लगते हैं.




दरअसल प्रथ्वी के ये सभी कथित चंद्रमा ऐसे एस्टेरॉयड्स है जो सूर्य का एक चक्कर लगाने में 1 साल का वक्त लगाते हैं. ये प्रथ्वी के साथ-साथ सूर्य का भी चक्कर लगा रहे होते हैं. इन्हें प्रथ्वी का क्वासी सैटेलाइट यानी आभासी उपग्रह भी कहा जाता है क्योंकि ये हमसे हमारे मुख्य चंद्रमा के मुकाबले बहुत दूर होते हैं. 2016 एचओ3 इस तरह के उपग्रहों का सबसे अच्छा उदाहरण है. यह सूरज के साथ-साथ प्रथ्वी की परिक्रमा भी करता हुआ प्रतीत होता है.

वर्ष 2006 में इसी तरह के एक और पिंड आरएच120 को भी खोजा गया था. मात्र 2-3 मीटर व्यास वाले आरएच120 ने सितंबर 2006 से जून 2007 के बीच धरती के चार चक्कर लगाए थे. बाद में यह स्वतंत्र होकर, सुदूर सूरज की तरफ निकल गया. यह लगभग हर 20 साल बाद धरती के पास आता है और अगली बार 2028 में फिर से हमारे पास से गुजरेगा.

2020 सीडी3 अपने छोटे आकार के कारण प्रथ्वी के मुख्य चन्द्रमा का छोटा भाई जरुर बन सकता है किन्तु हमें इससे रात में किसी प्रकार की चांदनी की उम्मीद नही करनी चाहिए . सूरज और चाँद के बीच आने -जाने वाले इन छोटे ग्रहों पर अभी काफी खोज किया जाना बाकी है . लेकिन निष्कर्ष यह भी है कि प्रथ्वी के लिए केवल एक ही चन्द्रमा नही है .
(द ओपन यूनिवर्सिटी में प्लानेटरी जियोसाइंस के प्रोफेसर डेविड रोथरी के मूल लेख द कन्वर्सेशन पर आधारित ).































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