Tuesday, 8 November 2016

जिन्दगी -एक पहेली या कुछ और



जिन्दगी और मौत . ये दो सबसे जटिल पहेली है इस दुनिया की . मौत के बारे में हम अगले ब्लॉग में कुछ चर्चा करेंगे . आज जिन्दगी को जानने की कोशिश करते है . 'जिन्दगी ' इस दुनिया का सबसे जीवंत शब्द है . क्यों कि जिन्दगी या जीवन बहुत अनमोल है . इसकी कोई कीमत नही है . ये जिन्दगी कहा से आती है और कहा चली जाती है ये किसको पता है ? इस जिन्दगी को समझना सरल भी है और काफी जटिल भी है . सरल इसलिए है कि आप दिमाग पर जोर बिलकुल मत दीजिये बस जिन्दगी को उसकी मर्जी पर छोड़ दीजिये . वही जिन्दगी कितनी जटिल है इसका अंदाजा इसी बात से लग सकता है कि इस मासूम जीवन को सभालते -सभालते लोगो की पूरी जिन्दगी गुजर जाती है लेकिन फिर भी उन्हें नही मालुम चलता है कि आखिर ये जिन्दगी है क्या ? तो आइये आज हम कुछ महान शायरों और गीतकारो से जानते है कि जिन्दगी के बारे में उनके क्या विचार है  :-

मशहूर शायर ग़ालिब कहते है 

'उम्र भर ग़ालिब यही भूल करता रहा 
धुल चेहरे पर थी मगर आइना साफ़ करता रहा .'

मधुशाला के हरिवंश राय बच्चन जी कहते है 

छोटे से जीवन में कितना प्यार करु ,पीलू हाला .
आने के साथ जगत में, कहलायेगा जाने वाला .
स्वागत के साथ, विदा की होती देखी तैयारी 
बंद लगी ,होने खुलते ही , मेरी जीवन मधुशाला ..

जनाब फिराक गोरखपुरी जी कहते है 

बहुत पहले से उन कदमो की आहट जान लेते है .
तुझे ऐ! जिन्दगी हम दूर से पहचान लेते है 
तबियत अपनी घबराती है जब सुनसान रातो में 
हम ऐसे में तेरी यादो की , चादर तान लेते है .

श्री पद्म सिह शर्मा जी कहते है 

जिन्दगी कटु सत्य है सपना नही है 
खेल इसकी आग में , तपना नही है 
कौन देगा साथ इस भूखी धरा पर 
जबकि अपना श्वास भी अपना नही है !

श्री मती कांता शर्मा जी ने कहा है 

सांस की हर सुमन है, वतन के लिए 
जिन्दगी ही हवन है , वतन के लिए 
कह गयी फासियो में फंसी गर्दने 
यह हमारा नमन है , वतन के लिए !

अनवर साहब फरमाते है कि 

जिन्दगी एक नशे के सिवाय कुछ नही
तुमको पीना न आये तो मै क्या करु !

बालीवुड के गीतकारो के अनुसार 
मशहूर गीतकार शैलेन्द्र जी को लीजिये .उनकी नजरो में जिन्दगी एक सफर है 


ज़िंदगी एक सफ़र है सुहाना
यहाँ कल क्या हो किसने जाना 
हँसते गाते जहाँ से गुज़र
दुनिया की तू परवाह न कर
मुस्कुराते हुए दिन बिताना
यहाँ कल क्या हो किसने जाना
हाँ ज़िंदगी एक सफ़र ...
मौत आनी है आएगी इक दिन
जान जानी है जाएगी इक दिन
ऐसी बातों से क्या घबराना
यहाँ कल क्या हो किसने जाना
हाँ ज़िंदगी एक सफ़र ... 

चाँद तारों से चलना है आगे
आसमानों से बढ़ना है आगे
पीछे रह जाएगा ये ज़माना
यहाँ कल क्या हो किसने जाना


गीतकार इन्दीवर भी कहते है 


ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
है ये कैसी डगर चलते हैं सब मगर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
ज़िंदगी को बहुत प्यार हमने किया
मौत से भी मुहब्बत निभायेंगे हम
रोते रोते ज़माने में आये मगर
हँसते हँसते ज़माने से जायेँगे हम
जायेँगे पर किधर है किसे ये खबर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
ऐसे जीवन भी हैं जो जिये ही नहीं
जिनको जीने से पहले ही मौत आ गयी
फूल ऐसे भी हैं जो खिले ही नहीं
जिनको खिलने से पहले फ़िज़ा खा गई
है परेशां नज़र थक गये चाराग़र
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
है ये कैसी डगर चलते हैं सब मगर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
ज़िन्दगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं

गीतकार योगेश जिन्दगी को एक पहेली मानते है 
ज़िंदगी ...
कैसी है पहेली, हाए
कभी तो हंसाये
कभी ये रुलाये
ज़िंदगी ...
कभी देखो मन नहीं जागे
पीछे पीछे सपनों के भागे
एक दिन सपनों का राही
चला जाए सपनों के आगे कहाँ
ज़िंदगी ...
जिन्होने सजाए यहाँ मेले
सुख-दुख संग-संग झेले
वही चुनकर ख़ामोशी
यूँ चली जाए अकेले कहाँ
ज़िंदगी ...

आनन्द बक्षी जी जिन्दगी के सफर को कुछ यु बयान करते है 


ज़िंदगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मकाम
वो फिर नहीं आते, वो फिर नहीं आते
फूल खिलते हैं, लोग मिलते हैं
फूल खिलते हैं, लोग मिलते हैं मगर
पतझड़ में जो फूल मुरझा जाते हैं
वो बहारों के आने से खिलते नहीं
कुछ लोग जो सफ़र में बिछड़ जाते हैं
वो हज़ारों के आने से मिलते नहीं
उम्र भर चाहे कोई पुकारा करे उनका नाम
वो फिर नहीं आते, वो फिर नहीं आते
ज़िन्दगी के सफ़र में ...
आँख धोखा है, क्या भरोसा है
आँख धोख है, क्या भरोसा है सुनो
दोस्तों शक़ दोस्ती का दुश्मन है
अपने दिल में इसे घर बनाने न दो
कल तड़पना पड़े याद में जिनकी
रोक लो रूठ कर उनको जाने न दो
बाद में प्यार के चाहे भेजो हज़ारों सलाम
वो फिर नहीं आते, वो फिर नहीं आते
ज़िन्दगी के सफ़र में ...

प्रसिद्ध फिल्मकार सावन कुमार जिन्दगी को एक गीत मानते है 
ज़िंदगी प्यार का गीत है, इसे हर दिल को गाना पड़ेगा
ज़िंदगी ग़म का सागर भी है, हंसके उस पार जाना पड़ेगा
ज़िंदगी बेवफ़ा है तो क्या, अपने रुठे हैं हमसे तो क्या
हाथ में हाथ ना हो तो क्या, साथ फिर भी निभाना पड़ेगा
ज़िंदगी ...
ज़िंदगी एक मुसकान है, टूटे दिल की कोई आस है
ज़िंदगी एक बनवास है, काट कर सबको जाना पड़ेगा
ज़िंदगी ...
है अभी दूर मंज़िल तो क्या, रास्ता भी है मुश्किल तो क्या
रात तारों भरी न मिले तो, ग़म का दीपक जलाना पड़ेगा
ज़िंदगी ...


 जिन्दगी के कितने आयाम है इसके कितने रंग -रूप है 
ये कैसा सफर है ये कैसा ख़्वाब है 
ये कैसी मधुशाला है ये कैसा गीत है
जिन्दगी कुछ नही है और सब कुछ है .
जिन्दगी की आखिर क्या परिभाषा दी जाए
कोई एक-दो  नही, हजारो हो सकती है  . 
जीवन अनमोल है , इसे जी भर कर जियो 
जियो और जीने दो 

किसी शायर ने कहा है-
जिन्दगी जिदादिली का नाम है ,
मुर्दा दिल क्या ख़ाक जिया करते है !






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