मंडल आयोग का नाम सभी ने (खासतौर पर पिछड़ा वर्ग ने ) अवश्य सुना है, लेकिन इस आयोग का नाम 'मंडल आयोग' क्यों पड़ा , यह बात शायद बहुत कम लोगो को मालुम होगी . दरअसल वर्ष 2018 बीपी मंडल का जन्मशती वर्ष भी है. इसलिए आइये एक छोटा सा परिचय जान लेते है इस मंडल आयोग और इसके महानायक के बारे में .
मंडल आयोग के महानायक बीपी यानि बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल (यादव ) का जन्म 25 अगस्त, 1918 को बनारस में हुआ था. बीपी मंडल हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान जिस हॉस्टल में रहते थे. वहां पहले अगड़ी कही जाने वाली जातियों के लड़कों को खाना मिलता उसके बाद ही अन्य छात्रों को खाना दिया जाता था. जातीय भेदभाव का यह हाल था कि इस स्कूल में अगड़ी जाती के छात्र बेंच पर बैठते थे और पिछड़े वर्ग के छात्र नीचे जमींन पर . इस अमानवीय भेदभाव के खिलाफ बी पी मंडल ने अपनी आवाज़ उठाई जिससे स्कुल के सभी पिछडे छात्रो को उनका बराबरी का हक मिल गया .
अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद वह कुछ दिन तक भागलपुर में एक मजिस्ट्रेट के रूप में कार्यरत रहे तत्पश्चात साल 1952 में भारत में हुए पहले आम चुनाव में मधेपुरा से कांग्रेस के टिकट पर बिहार विधानसभा के सदस्य बन गये . कहा जाता है कि बीपी मंडल को राजनीति, विरासत में मिली थी और उनके पिता श्री रास बिहारी मंडल कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे थे.
इसके बाद बीपी मंडल साल 1967 में लोकसभा के लिए चुने गए. किन्तु तब तक वह कांग्रेस छोड़कर समाजवादी नेता डा राम मनोहर लोहिया की अगुवाई वाली संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रमुख नेता बन चुके थे. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में अपने कुछ मतभेदों के चलते उन्होंने उससे अलग होकर शोषित दल बनाया और कांग्रेस के समर्थन से 1 फरवरी, 1968 को बिहार के मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए . उस दौर में पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाले किसी शख्स के लिए यह उपलब्धी दुर्लभ ही थी .हालाकि इस महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर उन्हें मात्र 50 दिन तक रहने का ही सौभाग्य प्राप्त हुआ .
उनके नाम पर आधारित ऐतिहासिक 'मंडल आयोग' का गठन मोरारजी देसाई की सरकार के समय 1 जनवरी, 1979 को हुआ था किन्तु इसके बाद मोरार जी देसाई जी की सरकार ही गिर गयी . जिससे इस आयोग ने इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान 31 दिसंबर 1980 को अपनी ऐतिहासिक रिपोर्ट सौंपी . रिपोर्ट सौपने के कुछ साल बाद 13 अप्रैल, 1982 को पटना में पिछडो के इस मसीहा बीपी मंडल की म्रत्यु हो गयी .
जीवन -म्रत्यु तो इस स्रष्टि का नियम है किन्तु महान व्यक्तित्वों को उनके महान कार्यो के बदौलत सदियों और युगों -युगों तक याद किया जाता है . बी पी मंडल के ऐसे ही ऐतिहासिक कार्यो की बदौलत देश में मौजूद 85 % बहुजन को समाज की मुख्य धारा में जीने का सुअवसर प्राप्त हुआ . उनके द्वारा निर्मित मंडल आयोग की रिपोर्ट को जनता दल की सरकार के दौरान लागू कर प्रधानमन्त्री विश्वनाथ प्रताप सिह भी पिछडो के हिमायती बन गये . इसी मंडल आयोग की बदौलत सभी अन्य पिछड़ा वर्ग(OBC) को नौकरियों में आरक्षण मिला और बाद में मनमोहन सिंह की सरकार के कार्यकाल के दौरान साल 2006 में उच्च शिक्षा में भी यह व्यवस्था प्रारम्भ की गयी .
मंडल आयोग के कारण पिछडो को सरकारी नौकरियों में आरछ्न मिलना प्रारम्भ हुआ जिससे सदियों से दबी ये सभी कमजोर जातीया भी देश के पिछड़ेपन को दूर कर स्वयम खुशहाल हुई . इसके प्रभाव से समाज में व्याप्त ऊंच -नीच की खाई कुछ कम हुई जिससे सामाजिक भेदभाव में भी कमी आई एवं देश के समग्र विकास हेतु एक मुख्य नीव की स्थापना हुई . आज इसी महान आयोग के कारण पिछडो को नौकरियों और शिछा में आरछ्न का लाभ भले ही मिल गया हो किन्तु अभी इस आयोग में की गई कुछ अन्य अहम सिफ़ारिशों को ज़मीन पर उतारा जाना बाकी है. वास्तव में मंडल आयोग की सिफ़ारिशों में शिक्षा-सुधार, भूमि-सुधार, पेशागत जातियों को सरकारी स्तर पर नई तकनीक और व्यापार के लिए वित्तीय मदद मुहैया कराने से जुड़ी सिफ़ारिशें भी शामिल थी जिनका लागू होना अभी शेष है .
No comments:
Post a Comment