Friday, 22 June 2018

अमरीश पुरी




मोगैम्बो खुश हुआ !!


ये लोकप्रिय संवाद हिंदी फिल्म के किस प्रशंसक ने नही सुना होगा . हमारी हिंदी फिल्मो की यह परम्परा है कि अगर कोई फ़िल्मी संवाद लोकप्रिय होता है तो उसे बोलने वाला कलाकार भी उसके साथ अमर हो जाता है . आज ही के दिन यानि 22 जून 1932 को हिंदी फिल्मो के मशहूर विलेन मोगैम्बो उर्फ़ अमरीश पूरी जी का जन्म हुआ था . कहा जाता है कि अमरीश पुरी, अनुभवी अभिनेता और गायक के.एल सहगल के चचेरे भाई थे.

सिनेमा के परदे पर अमरीश पूरी का अभिनय काफी दमदार रहता था . कई फिल्मो में तो वह फ़िल्मी हीरो पर भी भारी पड़ते नजर आते थे . एक्टिंग के नजरिये से वह काफी मंझे हुए कलाकार थे .






















कहा जाता है कि अमरीश पूरी एक्टिंग से पहले राष्ट्रीय स्वयमसेवक संघ के सदस्य के तौर पर कार्य करते थे किन्तु 30 जनवरी 1948 को राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जी की हत्या के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति अमरीश पुरी की निष्ठा लड़खड़ाने लगी, और उन्होंने चुपचाप खुद को संघ की सक्रिय भागीदारी से अलग कर लिया. इस राष्ट्रीय त्रासदी की दिल दहला देने वाली घटना ने न सिर्फ उन्हें स्तब्ध किया था , बल्कि अंदर से तोड़ ही दिया था . जिसके बाद वह हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ गये और फिल्मो में अमरीश पुरी बतौर विलेन बेहद कामयाब हुए . अपनी अभिनय कला से लोगो का मनोरंजन करते हुए 12 जनवरी 2005 को 72 साल की उम्र में इस दुनिया से विदा हो गये .




शेक्सपियर ने कहा था कि यह दुनिया भी एक रंगमंच है जिसमे हर शख्स अपनी -अपनी भूमिका को जी रहा है . अमरीश पूरी के जीवन में भी उनकी जिन्दगी के अनेक रंग नजर आते है . किन्तु जो रंग सबसे अधिक गहरा है , वह यह कि उन्होंने हिंदी फिल्मो में एक कामयाब विलेन बन कर अपनी कामयाबी के झंडे गाड़ दिए . वास्तव में हिंदी फिल्मो के इस मोगैम्बो ने अपनी अभिनय कला से अपने सभी प्रसंशको को बेहद खुश कर रखा था . उनके जाने के बाद हिंदी फिल्मो में विलेन की भूमिका निभाने वाले तमाम अभिनेता उनके जैसी प्रभावशाली छाप अभी भी नही छोड़ सके है .








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